राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा,
डीएवी कॉलेज, पेहवा के राजनीति विज्ञान विभाग, एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल साइंस तथा इतिहास विभाग ने संयुक्त रूप से भारत की दो महान नारियों – झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई तथा देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के जन्मदिवस को एक यादगार और प्रेरणादायक आयोजन के साथ मनाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और दोनों महान व्यक्तित्वों के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इकबाल सिंह ने श्रीमती इंदिरा गांधी के जीवन और कृतित्व पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि कैसे ‘लौह महिला’ के नाम से विख्यात इंदिरा गांधी ने देश की एकता-अखंडता को मजबूत किया, 1971 के युद्ध में निर्णायक नेतृत्व देकर बांग्लादेश के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई और गरीबी हटाओ जैसे सशक्त नारे के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुँचाने का संकल्प लिया।
इसके पश्चात् इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर सुखबीर सिंह ने रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस और बलिदान की अमर गाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे एक नवयुवती रानी ने अंग्रेजों के छल को पहचानते हुए “मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी” का उद्घोष किया और घोड़े पर तलवार भाँजते हुए 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में वीरगति को प्राप्त हुईं। उनकी यह गाथा सुनकर सभागार में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं की आँखें सजल हो उठीं।
कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण तब आया जब छात्र-छात्राओं ने दोनों महान नारियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। विद्यार्थियों ने शिक्षकों से उनके योगदान, निर्णयों और चुनौतियों पर खुलकर प्रश्न किए और गहन चर्चा की। इस संवाद ने न केवल इतिहास को जीवंत किया, अपितु युवा पीढ़ी में देशभक्ति और नारी सशक्तिकरण की भावना को और प्रज्वलित किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ और सभी ने संकल्प लिया कि इन महान नारियों के दिखाए मार्ग पर चलकर देश को और मजबूत बनाएँगे।
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