राजेश कुमार। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा,
डीएवी कॉलेज , पेहवा में आज एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक आयोजन हुआ, जहां राष्ट्र के दो महान सपूतों – लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मदिवस तथा भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि – को समर्पित एक विचारोत्तेजक परिचर्चा का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों के लिए एक ज्ञानवर्धक मंच सिद्ध हुआ, बल्कि राष्ट्र निर्माण की उन अमर गाथाओं को जीवंत करने का माध्यम भी बना, जिन्होंने भारत को अखंड और सशक्त बनाने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में राजनीति विज्ञान विभाग के सम्मानित अध्यक्ष डॉ. सुदीप कुमार ने मंच संभाला और छात्रों को सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन और योगदान की गहन एवं प्रेरणाप्रद व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे सरदार पटेल ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अटूट इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता से ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ें हिला दीं। स्वतंत्रता के पश्चात्, जब नवजात भारत 562 रियासतों में बंटा हुआ था, तब सरदार पटेल ने अपनी कूटनीतिक कुशलता, दृढ़ संकल्प और लौह इच्छाशक्ति से इन रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर अखंड भारत का स्वप्न साकार किया। डॉ. सुदीप कुमार ने छात्रों को पटेल की उस प्रसिद्ध उक्ति की याद दिलाई – "हर भारतीय को यह याद रखना चाहिए कि मैं भारतीय हूं और मेरे लिए भारत में कोई दूसरा स्थान नहीं है" – जो आज भी राष्ट्र एकता की प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई है। उनकी व्याख्या इतनी जीवंत और प्रभावशाली थी कि छात्रों के मन में राष्ट्रप्रेम की ज्वाला प्रज्वलित हो उठी।
इसके उपरांत, डॉ. सुदीप कुमार ने श्रीमती इंदिरा गांधी के सशक्त नेतृत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी ने अपनी दृढ़ नीतियों और दूरगामी दृष्टि से भारत को एक विकसित राष्ट्र की नींव प्रदान की। 1971 के भारत-पाक युद्ध में उनकी रणनीतिक कुशलता ने बांग्लादेश के निर्माण को जन्म दिया, जबकि हरित क्रांति और बैंक राष्ट्रीयकरण जैसी क्रांतिकारी योजनाओं ने भारत को आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया। डॉ. सुदीप कुमार ने छात्रों से चर्चा करते हुए कहा, "इंदिरा गांधी का 'गरिबी हटाओ' का नारा केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि करोड़ों गरीबों के लिए उम्मीद की किरण था।" इस चर्चा में छात्रों ने सक्रिय भागीदारी निभाई, प्रश्नों के माध्यम से इन महान व्यक्तित्वों की प्रासंगिकता को आज के परिप्रेक्ष्य में समझने का प्रयास किया।
इस अवसर पर कॉलेज के विभिन्न विभागों के विद्वान प्रोफेसरों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को और अधिक गरिमामय बनाया। अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर अभिषेक शर्मा, राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इकबाल सिंह तथा इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुखबीर सिंह ने न केवल अपनी सहभागिता दर्ज की, बल्कि छात्रों के साथ विचार-विमर्श कर उन्हें इतिहास की गहराइयों में उतारा। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को बहुआयामी बनाया और छात्रों में नेतृत्व, एकता तथा सशक्तिकरण की भावना को मजबूत किया।
यह परिचर्चा मात्र एक आयोजन नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरी। डीएवी कॉलेज, पेहवा ऐसे आयोजनों के माध्यम से छात्रों को राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास से जोड़कर उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में अग्रसर है। सरदार पटेल और इंदिरा गांधी की स्मृति में आयोजित यह कार्यक्रम निश्चय ही कॉलेज के शैक्षणिक कैलेंडर में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित हो गया।
Tags
पिहोवा