प्रभु कृपा पावरी दीनी, सादर भरत शीश धर लीनीभरत के श्रेष्ठ व्यवहार देख जनसमूह ने किया जय-जयकार


राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि 
कुरुक्षेत्र, 28 सितम्बर 

 कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर गीता मनीषी पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के सान्निध्य और अंतर्राष्ट्रीय रामलीला महोत्सव एसोसिएशन के तत्वावधान में दिल्ली एनसीआर के स्कूलों और गुरुकुल के बच्चों द्वारा गीता ज्ञान संस्थानम् में आयोजित दूसरे दिन की रामलीला का अवलोकन करने पधारे महत्वपूर्ण अतिथियों में धर्मवीर डागर (चेयरमैन हरियाणा शुगर मिल बोर्ड), विजयपाल (प्रदेश संयोजक वन नेशन वन इलेक्शन), दिल्ली राज्य शिक्षा विभाग डिप्टी डायरेक्टर अनिल शर्मा, पूर्व डिप्टी डायरेक्टर श शैलेन्द्र सारस्वत, ITL प्रशासनिक अधिकारी एम सी शर्मा, भारती मॉडल स्कूल चेयरमैन हीरालाल पाण्डेय, गुरुग्राम ग्लोबल हाईट स्कूल के प्रिंसिपल डीके पांडेय तथा फीनिक्स क्लब के प्रधान डॉ. राजेश वधवा, गीता ज्ञान संस्थानम् मीडिया प्रभारी राम पाल शर्मा, सरस्वती हेरिटेज बोर्ड सेवा समिति सदस्य नवोदित सहित बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
दीप प्रज्ज्वलन और गणपति वंदना के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय रामलीला महोत्सव एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश टंडन और संयोजिका डॉ वंदना टंडन से विशिष्ट अतिथियों को अंगवस्त्र तथा रामलला की भव्य छवि भेंट कर स्वागत किया। डॉ वेद टंडन ने देश के विभिन्न भागों में अपनी प्रस्तुति दे चुके दिल्ली एनसीआर के विभिन्न स्कूलों के बच्चों की कला प्रतिभा के प्रशंसक दर्शकों को बताया कि शिक्षा के साथ-साथ संस्कृति को भी बढ़ावा देने वाली इस लीला का उद्देश्य देश के प्रत्येक बच्चे और उसके माता-पिता को यह अहसास करना है कि हम सब प्रभु श्री राम की संतान हैं। प्रभु श्री राम हम सब के हृदय में विराजित है इसलिए हमें अपने जीवन को राम के आदर्शों के अनुरूप महान बनाकर अपना, अपने परिवार और अपने देश का गौरव बढ़ाना है।


आज की भावुक संवादों वाली रामलीला का शुभारंभ अयोध्या में जानकी जी को लौटी बारात के स्वागत से हुआ। अयोध्या में उत्सवी वातावरण में राजा दशरथ जी द्वारा राम जी को अपना युवराज बनाने का निर्णय किया तो अयोध्या वासियों की खुशियां कई गुना बढ़ गई। लेकिन विधि की रचना के अनुसार मंथरा ने सभी के मन को थर्रा दिया। कैकई मंथरा संवाद के बाद कैकई द्वारा राजा दशरथ से दो वर मांगते हुए कैकई पुत्र भरत को राजतिलक और राम जी को 14 वर्ष वनवास का समाचार पाकर प्रजा के विलाप के बीच राजसी वस्त्रों का त्याग राम, लक्ष्मण सीता सहित वन गमन कर गए तो दशरथ जी ने संसार त्यागने के बाद चित्रकूट में भरत द्वारा रामजी से भेंट के बाद उनके प्रतिनिधि के रूप में चरण पादुका लेकर लौटने के दृश्य ने दर्शकों को भावुक कर दिया। आज की लीला ने सीता हरण के पश्चात जटायु की मुक्ति के मंचन से विराम लिया।

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