बेलर एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक में गरजे संचालक, दाम बढ़ाने और सब्सिडी संबंधित मांगें नहीं मानी तो पराली प्रबंधन के काम का करेंगे बहिष्कार


अभिषेक पूर्णिमा 

एसोसिएशन की चेतावनी, काम बंद हुआ तो पराली में लगने वाली आग की जिम्मेदार होगी सरकार, भाकियू ने दिया 

पिहोवा, 30 अगस्त। पिहोवा, 30 अगस्त। पराली प्रबंधन का कार्य करने वाली बेलर एसोसिएन की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई। इसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों से बेलर एसोसिएशन के सदस्य एवं पदाधिकारी अपनी समस्याओं पर विचार विमर्श करने के लिए पहुंचे। उनके साथ भाकियू प्रिंस वडैच ग्रुप के प्रधान सुखविंद्र मुकीमपुरा भी समर्थन करने के लिए पहुंचे। बैठक के बाद एसोसिएशन की ओर से महासचिव जय नारायण लोटनी और सचिव सतीश राणा जलबेहड़ा ने बताया कि लंबे समय से इस काम में जुड़े लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हें लेकर सरकार से मांग भी की गई है। उन्होंने बताया कि बेलर मशीन पर दी जाने वाली अनुदान राशि समय पर नहीं मिलती। मशीन विक्रेता कंपनी पूरे पैसे एडवांस ले लेती है और सरकार से सब्सिडी का पैसा पाने के लिए बेलर संचालक को चक्कर काटने पड़ते हैं। इसके बाद छोटी-छोटी किस्तों में पैसा मिलता है। इनकी मांग है कि आसान शर्तों में एक बार में ही अनुदान राशि जारी की जाए। इसके अलावा पिछले पांच साल में पराली की बेल के रेट ज्यादा थे। जबकि डीजल, धागा, लेबर के दाम बहुत कम थे। आज पराली की बेल गांठ के रेट कम कर दिए गए हैं। जबकि डीजल, धागा, लेबर, ट्रांसपोर्ट व अन्य खर्चों के रेट ज्यादा हो गए हैं। जिस वजह से बेलर संचालक बेलर चलाने में असमर्थ हैं। बेलर व रैक बनाने वाली सभी कंपनियों के प्रोडक्ट की बाजार में कीमत लगभग साढ़े 18 लाख रुपए है।  पिछले 5 वर्षों के दौरान इनके रेट में बेतहाशा वृद्धि हुई है।  लेकिन सरकारी आंकड़ों में अनुदान राशि कीमत 15 लाख मानकर 50 प्रतिशत ही चल रही है। जो बहुत कम है। अनुदान राशि साढ़े 18 लाख रुपए के हिसाब से होनी चाहिए। जो नए रेट के अनुसार लगभग 9 लाख 25 हजार बनती है।उनकी मांग है कि जिस तरह सरकार पराली में आग ना लगाने वाले किसानों को 1200 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देती है। उसी प्रकार बेलर संचालक को भी 500 रुपए प्रति एकड़ दिया जाए। क्योंकि पराली का निपटान बेलर संचालक ही करते हैं। यूनियन सदस्यों ने कहा कि पराली की गांठ या बेल का रेट बहुत ही कम मिल रहा है। उद्योग व पावरप्लांटों में पराली की बेल का रेट 160 से लेकर 170 रुपए तक रहता है। जिसमें लागत मूल्य भी मुश्किल से पूरा हो पाता है। पराली की बेल का रेट 190 रुपए प्रति क्विंटल होना जरूरी है। यूनियन पदाधिकारी ने बताया की समस्याओं को लेकर उनकी तरफ से उपायुक्त कुरुक्षेत्र,निदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पंचकूला सभी को ज्ञापन दिया जा चुका है। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। अब सीजन में 15 दिन शेष हैं यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो बेलर संचालक काम नहीं कर पाएंगे। जिसके चलते किसानों को मजबूरन पराली में आग लगानी पड़ेगी। इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।इस मौके पर प्रधान जसवंत सिंह, प्रीत पाल शर्मा, भाकियू प्रधान सुखविंद्र मुकीमपुरा, जय नारायण जनरल सेक्रेटरी, सचिव सतीश राणा ,राजकुमार, शीशपाल, गुरनाम, सतपाल मास्टर, सुखदीप सिंह, अमनदीप विर्क जुंडला, रवि, राम तिलक, दलवीर, हरि सिंह पूर्व सरपंच भेरियां, हरपाल सिंह चीमा, सरदार बक्शी सिंह, अमित सैनी, निर्मल सैनी, गोपाल, रेशम ,जसपाल धीमान, विजय, कर्मबीर अंबाला, कुलदीप सारसा, अमित ढांडा, बलराज मलिक, ईश्वर कश्यप, बलराज सारसा, बृजमोहन सैनी, रमन मक्कड़ अजरावर, संदीप सैनी सरपंच सूरजगढ़ सहित प्रदेश भर के सैंकड़ों बेलर संचालक मौजूद रहे।


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