डी.ए.वी. कॉलेज, पेहवा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन


राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा 

डी.ए.वी. कॉलेज, पेहवा में आज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि के अवसर पर एक प्रभावशाली संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग और एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल साइंस ने संयुक्त रूप से किया। संगोष्ठी का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रीय चेतना का संचार करना और नेताजी के जीवन एवं योगदान को नए दृष्टिकोण से समझाना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. सुदीप कुमार के प्रेरक संबोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि नेताजी का जीवन युवा पीढ़ी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा। उन्होंने नेताजी की आज़ाद हिंद फौज, स्वतंत्रता संग्राम में उनकी निर्णायक भूमिका और उनके प्रसिद्ध नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” को याद करते हुए छात्रों को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित किया। डॉ. सुदीप कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि नेताजी का दृष्टिकोण केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं था, बल्कि वे आर्थिक और सामाजिक न्याय को भी सच्ची आज़ादी का आधार मानते थे।

इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रो. सुखबीर ने नेताजी के जीवन की प्रमुख ऐतिहासिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने उनके आई.सी.एस. परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन, कांग्रेस अध्यक्ष पद पर निर्वाचन, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी व जापान से सहयोग और आज़ाद हिंद सरकार के गठन पर विस्तार से चर्चा की। प्रो. सुखबीर ने कहा, “नेताजी की मृत्यु का रहस्य भले ही आज भी अनसुलझा है, लेकिन उनकी राष्ट्रवादी विरासत सदैव अमर रहेगी।”

संगोष्ठी में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और उत्साहपूर्वक प्रश्न-उत्तर सत्र में हिस्सा लिया। छात्रों ने नेताजी के विचारों को वर्तमान संदर्भ में समझने और उनके संघर्षों से प्रेरणा लेने की बात कही।

कॉलेज प्राचार्य ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को इतिहास से जोड़ते हैं और उन्हें भविष्य निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

कार्यक्रम का समापन नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हुआ। यह संगोष्ठी जहां एक ओर महानायक के योगदान को स्मरण करने का अवसर बनी, वहीं दूसरी ओर युवाओं में देशभक्ति और राष्ट्रीय चेतना जागृत करने का सफल प्रयास भी साबित हुई।

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