अभिषेक पूर्णिमा/राजेश वर्मा
पिहोवा, 7 जुलाई: गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज श्री कृष्ण कृपा गौशाला, पिहोवा में एक अत्यंत भव्य और दिव्य प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। यह आयोजन गौशाला के समर्पित सेवादारों द्वारा श्रद्धा, प्रेम और सेवा भाव से सम्पन्न किया गया। गीता मनीषी, परम पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज की साक्षात उपस्थिति ने इस शुभ प्रभात बेला को अद्वितीय बना दिया, जिनकी वाणी और दर्शन से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो उठा।
महाराज जी ने सबसे पहले गौमाता के चरणों में शीश नवाकर उनके मस्तक पर प्रेमपूर्वक हाथ फेरा और चरण रज को अपने माथे पर लगाया। यह दृश्य सभी श्रद्धालुओं को भीतर तक भावविभोर कर गया – जैसे साक्षात किसी ऋषि का गौभक्ति से ओतप्रोत आदर्श रूप सामने हो।
गौशाला में चल रहे नवनिर्माण कार्यों का उन्होंने निरीक्षण किया और निर्माण में लगे सभी सेवकों को आशीर्वाद दिया। तत्पश्चात, स्वामी जी ने उपस्थित जनसमूह को अपने अमृतमय प्रवचनों से कृतार्थ किया। उन्होंने गुरु की महिमा, सनातन धर्म की गरिमा और महर्षि वेदव्यास के योगदान का विस्तार से वर्णन करते हुए सभी को भावविभोर कर दिया।
महाराज श्री ने बताया कि – "हमारे सनातन धर्म की नींव जिन चार वेदों पर टिकी है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद – उन सभी का संकलन और संपादन जिन महापुरुष ने किया, वे थे महर्षि वेदव्यास। उन्होंने न केवल वेदों को व्यवस्थित किया, बल्कि अठारह पुराण, उपपुराण, ब्रह्मसूत्र और महाभारत जैसे अद्भुत ग्रंथों की भी रचना की।"
उन्होंने आगे कहा – "महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत ही वह ग्रंथ है, जिसमें श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेश सहेजे गए। यदि वेदव्यास न होते, तो हमें यह अमूल्य आध्यात्मिक ज्ञान न मिल पाता। गुरु पूर्णिमा का पर्व भी उन्हीं की स्मृति में मनाया जाता है। जिस आसन पर कोई गुरु बैठकर सत्संग करता है, उसे व्यासपीठ कहा जाता है — क्योंकि वह स्थान वेदव्यास के ज्ञान की परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है।"
उनके प्रवचनों ने श्रद्धालुओं के अंतःकरण को छू लिया। सभी ने एक स्वर में स्वीकारा कि जीवन में गुरु का स्थान सर्वोपरि है – वह दीपक की भांति राह दिखाता है, अंधकार को मिटाता है और आत्मा को ईश्वर से जोड़ता है।इसके पश्चात गौशाला के समर्पित सेवादारो को ठाकुर जी का सुंदर स्वरूप भेंट कर महाराज जी ने उन्हें स्मृति चिन्ह और आशीर्वाद प्रदान किया। तत्पश्चात श्री कृष्ण कृपा मंदिर परिसर में भव्य हवन यज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें स्वामी जी ने स्वयं आहुति डालकर वातावरण को आध्यात्मिकता की सुगंध से भर दिया।
यज्ञ के उपरांत गीता मनीषी पुनः व्यासपीठ पर विराजमान हुए और सभी श्रद्धालुओं को सत्संग का अमृतपान कराया। गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर भक्तों ने भावविभोर होकर उनके चरणों में शीश नवाया, और गुरुचरणों में अपना समर्पण अर्पित किया।
भजन गायकों द्वारा प्रस्तुत की गईं भक्ति-भाव से परिपूर्ण रचनाओं ने संपूर्ण माहौल को कृष्णमय बना दिया – कभी गौमाता की वंदना में, तो कभी गुरुदेव की महिमा में स्वर गूंज उठे। इन दिव्य क्षणों में आंखें नम हुईं, हृदय पुलकित हुआ और आत्मा को शांति मिली।
इस आयोजन में न केवल पिहोवा से, बल्कि अनेक नगरों से श्रद्धालु स्वामी जी का आशीर्वाद लेने पहुंचे। समस्त श्री कृष्ण कृपा परिवार ने तन-मन-धन से आयोजन को सफल बनाने में भरपूर योगदान दिया।
गुरु पूर्णिमा का यह आयोजन गुरु महिमा, गौसेवा और भक्ति का त्रिवेणी संगम बनकर उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के जीवन में चिरकालिक स्मृति बन गया। इस अवसर पर जगत सिंह,प्रेमलाल पुरी, जयनारायण गर्ग, देव प्रकाश पूर्णिमा, संजय गर्ग, तरसेम मदान, सतीश बंसल, हरबंस लाल दुआ, रामकुमार शर्मा, कीमतीलाल, कपिल गर्ग, प्रवीण गर्ग, शिवकुमार गोयल, चौधरी रामस्वरूप, तरसेम, महेंद्र सैनी, चमन लाल गुप्ता, सुशील गर्ग, जोगिंदर सिंदुरिया, अमित कुमार, श्रवण कुमार, प्रेम सैनी, सचिन गर्ग, दीपक बावेजा, नरोत्तम वासन, डॉ अमित अरोड़ा, डॉ जसबीर सिंह, राजीव थरेजा, सुमित शर्मा, राम लाल धीमान,सुभाष वोहरा, निखिल तनेजा, प्रेम खुराना, हर्ष अग्रवाल, यमन गर्ग, चिराग बेरी, रूपचन्द सिंगला, राकेश खुराना, मनोहरलाल शर्मा, गोल्डी शर्मा, शिवकुमार मनोज कुमार, जयभगवान धवन, सोमनाथ सरपंच,सुलोचना वर्मा, राजेश गर्ग, हेमन्त धवन, अनिल धवन, कृष्ण ग्रोवर उपस्थित थे।


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