अभिषेक पूर्णिमा
पिहोवा, 04 जुलाई ! शुक्रवार सुबह की पहली किरणों के साथ जब पिहोवा की पवित्र भूमि पर शंखनाद और वैदिक मंत्रों की ध्वनि गूंजी, तब ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं वृंदावन यहाँ उतर आया हो। गुरुनानक कॉलोनी की गलियाँ आज कुछ विशेष थीं — परम श्रद्धेय स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के आशीर्वाद से आयोजित यह प्रभात फेरी राजपाल कश्यप के सौजन्य से एक आध्यात्मिक उत्सव में परिवर्तित हो गई।
श्रद्धालुओं की टोलियाँ जब भक्ति-भाव से लबरेज होकर हाथों में ध्वज लिए गली-गली निकलीं, तो ऐसा लगा मानो हर द्वार पर राधा रानी की चरण रज बरस रही हो। संकीर्तन का प्रारंभ वैदिक मंत्रोच्चार से हुआ, और फिर एक-एक करके जब भजन गूंजे, तो समूचा वातावरण कृष्णमय हो गया।
भजन गायकों — जगदीश तनेजा, सुरेश वर्मा, सागर कश्यप, जितेंद्र वर्मा, विक्की वोहरा, राज धवन, सुखदेव शर्मा, बॉबी अत्र, सुशील गर्ग, राजिन्दर चोपड़ा, नरेश शर्मा — ने जब भक्ति के स्वर साधे, तो श्रद्धालु स्वाभाविक रूप से प्रभु-चरणों में लीन हो गए।
लवली गोयल द्वारा प्रस्तुत भजन "घनश्याम तेरी मुरली पागल कर जाती है..." और बॉबी अत्र की भावप्रवण प्रस्तुति "तेरी बिगड़ी बना देगी चरण रज राधा रानी की..." ने तो जनमानस को झूमने पर विवश कर दिया।
कार्यक्रम में एक विशेष क्षण तब आया जब कृष्ण कृपा गौशाला के प्रधान श्री जगदीश तनेजा ने गौशाला में चल रहे सेवा कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि "एक बार गौ माता के माथे पर प्रेम से हाथ फेरने मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति हो सकती है।"
इस आयोजन की स्मृति को चिरस्थायी बनाने हेतु नरेंद्र शर्मा, विजय कश्यप, विनोद कंसल, विनोद शर्मा ने कश्यप परिवार को ठाकुर जी का मनोहारी स्वरूप भेंट किया। यह क्षण सभी उपस्थितों के लिए अत्यंत भावुक था।
इसके उपरांत श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का सामूहिक पाठ हुआ, जिसने प्रभात बेला को और अधिक दिव्यता से भर दिया।
आयोजक कश्यप परिवार ने उपस्थित श्रद्धालुओं का आत्मीय स्वागत किया और सभी को प्रेम एवं कृतज्ञता से ओतप्रोत आभार व्यक्त किया।
इस दिव्य प्रभात फेरी में अनेक गणमान्य श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से — संजीव कश्यप, अमित कश्यप, पुष्पिंदर कश्यप, ध्रुव, नीलम, सोनिया, आयुष, गगन कश्यप, राजपाल सैनी, दिवांशु कंसल, राजेंद्र तनेजा, दीपक गुलाटी, शकुंतला देवी, नरेश अरोड़ा, गीता, लवली गोयल, पवन गोयल, साहिल खुराना, अजय बहल, सुशील नारंग, नंदलाल कालड़ा, गौरव धवन, आशु वासन, सुमित शर्मा, अशोक वधवा, महेश तलवार, देसराज मित्तल, जगदीश अरोड़ा, नरेंद्र गोस्वामी, सुखदेव जांगड़ा, मनोज किंगर, तेजिंदर वालिया, पवन खन्ना, राजू पुरी, राकेश खुराना, राजीव धवन आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
यह प्रभातफेरी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मा को प्रभु से जोड़ने वाला सजीव, सार्थक और आध्यात्मिक अनुभव बन गई — जिसमें प्रेम, संगीत, सेवा और संस्कारों की त्रिवेणी बही।