अभिषेक पूर्णिमा
कुरुक्षेत्र/पिहोवा, 3 जुलाई :- श्रीकृष्ण आयुष यूनिवर्सिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने रीढ़ की हड्डी से बाहर निकली एल-4, एल-5 और सेकेंडरी स्पाइनल कैनाल स्टेनोसिस से जूझ रही एक महिला को बिना सर्जरी के ठीक करने का काम किया है। कुरुक्षेत्र जिले के गांव गुमथला की 35 वर्षीय कविता को साल 2014 में डिलीवरी के बाद कमर दर्द शुरू १ हुआ, जो कुछ समय के लिए दवा से । ठीक हो गया, लेकिन समय के साथ दर्द बढ़ता गया और 2022 में हालत इतनी बिगड़ गई कि कविता चलने-फिरने की क्षमता खो बैठी और बिस्तर पर पड़ी कविता व्हीलचेयर पर निर्भर हो चुकी थी। कविता के पति गुरदेव ने पत्नी के इलाज के लिए हर संभव प्रयास किया। उन्होंने कुरुक्षेत्र, कैथल, दिल्ली, चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला जैसे शहरों के विशेषज्ञ डॉक्टरों से संपर्क किया।
हर जगह एक ही सलाह मिली सर्जरी करवानी पड़ेगी। इसका कारणकविता की रीढ़ की हड्डी से एल-4, एल-5 डिस्क का बाहर की तरफ निकलना था और सेकेंडरी स्पाइनल कैनाल स्टेनोसिस हो गया था। इसी बीच वे श्रीकृष्ण आयुष यूनिवर्सिटी के अस्पताल में पंचकर्म विभाग के प्रो. राजा सिंगला से इलाज लेने के लिए पहुंचे।
डॉ. राजा सिंगला की देखरेख में कविता को करीब एक महीने के लिए आयुव यूनिवर्सिटी के आयुर्वेदिक अस्पताल में भर्ती किया गया। यहां पंचकर्म चिकित्सा, महानारायण तेल से कटी बस्ति, ग्रीवा बस्ति, निरुह बस्ति और आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन कराया गया। उपचार के 25वें दिन से कविता में धरि-धीर सुधार दिखने लगा और अब 75 फीसदी तक रिकवरी के साथ कविता बिना सहारे चलने, उठने और घर के सभी काम करने में सक्षम हो चुकी है। डॉ. राजा सिंगला ने बताया कि यह केस आयुर्वेद की शक्ति का प्रमाण है, जहां लोग सर्जरी को अंतिम विकल्प मानते हैं, वहीं सही निदान, परंपरागत चिकित्सा विधियों और धैर्य से बेहतर इलाज संभव है। आयुष यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. करतार सिंह धीमान ने बताया कि यह केस आयुर्वेद की जीवंत प्रभावशीलता और वैज्ञानिकता का प्रमाण है।
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