राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा (कुरुक्षेत्र), 19 फरवरी
डीएवी कॉलेज, पिहोवा में भारतीय राष्ट्रवाद के प्रतीक, महान योद्धा और कुशल प्रशासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर कॉलेज के इतिहास और राजनीति विज्ञान विभागों के छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य शिवाजी महाराज के जीवन, उनकी प्रशासनिक नीतियों और समाज सुधार के प्रयासों पर प्रकाश डालना था।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और शिवाजी महाराज के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई। इसके पश्चात इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुखबीर ने छात्रों को संबोधित करते हुए शिवाजी महाराज की कार्यशैली, युद्ध कौशल, प्रशासनिक दक्षता और सामाजिक सुधार से जुड़े उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने अपने पराक्रम और रणनीतिक सोच से मराठा साम्राज्य की नींव रखी और स्वराज्य की अवधारणा को साकार किया।
राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष और संगठन पॉलिटिकल साइंस के अध्यक्ष व एसोसिएशन ऑफ़ पोलिटिकल साइंस के संयोजक डॉ. सुदीप कुमार ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज न केवल एक वीर योद्धा थे, बल्कि एक कुशल प्रशासक भी थे। उन्होंने बताया कि शिवाजी ने एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा तैयार किया, जिसमें न्याय, कर-व्यवस्था और धर्मनिरपेक्षता को प्राथमिकता दी गई। डॉ. सुदीप कुमार ने यह भी कहा कि शिवाजी का जीवन केवल इतिहास का एक अध्याय नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा भी देता है। उनके अदम्य साहस और कुशल नेतृत्व से आज के युवा भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुरेंद्र शर्मा ने इस अवसर पर छात्रों को आशीर्वाद दिया और शिवाजी महाराज की जीवनगाथा को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शिवाजी ने विपरीत परिस्थितियों में भी साहस और बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए अपने साम्राज्य का विस्तार किया और समाज में एकता और समानता स्थापित करने के लिए प्रयास किए।
इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. सुदीप कुमार और प्रोफेसर सुखबीर ने किया। कॉलेज प्रशासन ने उनकी इस प्रयास के लिए सराहना की और भविष्य में भी ऐसे प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने भी अपने विचार साझा किए और शिवाजी महाराज के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। इस आयोजन ने न केवल शिवाजी महाराज की विरासत को श्रद्धांजलि दी, बल्कि छात्रों को राष्ट्रवाद, नेतृत्व और सामाजिक न्याय के महत्व से भी अवगत कराया।
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