टैरिफ आतंकवाद की चुनौतियाँ, स्वदेशी ही एकमात्र हल: डीएवी कॉलेज, पेहवा में जीवंत चर्चा


राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा,

 वैश्विक व्यापार की दुनिया में उभरती नई चुनौतियों के बीच भारत की वर्तमान राजनीतिक समस्याओं में 'टैरिफ आतंकवाद' एक ऐसा मुद्दा बन चुका है, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और स्वावलंबन को सीधे प्रभावित कर रहा है। इस संदर्भ में डीएवी कॉलेज, पेहवा के राजनीति विज्ञान विभाग और एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल साइंस के छात्रों ने एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी का आयोजन किया, जहाँ इस विषय पर गहन चर्चा हुई। चर्चा का मूल मंत्र रहा – "टैरिफ आतंकवाद की चुनौतियाँ, एक ही उत्तर: स्वदेशी।"

विभाग अध्यक्ष डॉ. सुदीप कुमार ने अपने प्रारंभिक उद्बोधन में टैरिफ आतंकवाद को वैश्विक शक्तियों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से अपनाई गई रणनीति के रूप में चित्रित किया। उन्होंने कहा कि विदेशी टैरिफ नीतियाँ भारतीय निर्यात को बाधित कर रही हैं, जिसका असर लाखों रोजगारों और आर्थिक विकास पर पड़ रहा है। डॉ. कुमार ने छात्रों को संबोधित करते हुए जोर दिया कि इस खतरे का मुकाबला करने का एकमात्र मार्ग स्वदेशी आंदोलन को पुनर्जीवित करना है। "स्वदेशी न केवल आर्थिक स्वावलंबन का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय एकता का भी आधार है," उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा।

संगोष्ठी में कॉलेज के उत्साही छात्रों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। विभिन्न समूहों में बंटे छात्रों ने टैरिफ आतंकवाद के वैश्विक उदाहरणों – जैसे अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध – का हवाला देते हुए भारत की स्थिति पर चिंता जताई। एक छात्रा ने कहा, "यह आतंकवाद आर्थिक हथियार के रूप में कार्य कर रहा है, जो विकासशील देशों को कमजोर करने का प्रयास है।" वहीं, एक अन्य छात्र ने स्वदेशी को 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान से जोड़ते हुए तर्क दिया कि स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देकर ही हम इस जाल से मुक्त हो सकते हैं। चर्चा के दौरान छात्रों ने 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भरता' जैसे सरकारी प्रयासों की सराहना की, लेकिन साथ ही इनकी गति बढ़ाने की मांग भी की।

यह संगोष्ठी न केवल शैक्षणिक मंच साबित हुई, बल्कि युवाओं में राजनीतिक जागरूकता जगाने का माध्यम भी बनी। छात्रों के विचारों से स्पष्ट झलका कि स्वदेशी धारण करना आज के दौर की अनिवार्यता है, जो टैरिफ आतंकवाद जैसी चुनौतियों का स्थायी समाधान सिद्ध हो सकता है। डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल ने ऐसी और अधिक पहलों का वादा किया, ताकि छात्र राष्ट्रीय मुद्दों पर सशक्त बहस कर सकें।

यह आयोजन भारत की राजनीतिक यात्रा में एक सकारात्मक कदम के रूप में उभरा, जहाँ युवा पीढ़ी स्वदेशी की भावना से प्रेरित होकर देश को मजबूत बनाने का संकल्प ले रही है।

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