पहले फ़िज़ी वायरस, फिर बेमौसमी बरसात व बाढ़ और अब हल्दी रोग ने तोड़ी किसान की कमर

अभिषेक पूर्णिमा

पिहोवा, 21 सितम्बर ( ): धान में पीली हल्दी गांठ रोग ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है क्योंकि यह फसल की पैदावार और गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। किसान रामपाल मलिक सारसा ने बताया कि यह एक फंगस जनित रोग है जो धान के दानों को हरे-पीले रंग की गांठों में बदल देता है। इसके लिए अधिक नमी और उच्च तापमान जिम्मेदार होते हैं और यूरिया का अधिक प्रयोग भी इसे बढ़ाता है. किसानों को चिंता इसलिए है क्योंकि इस रोग के कारण फसल की पैदावार काफी कम हो जाती है और धान की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है, जिससे बाजार में अच्छी कीमत नहीं मिल पाती। किसान बलवान सिंह मलिक ने बताया कि रोगग्रस्त दाने बड़े और घुंघराले हो जाते हैं, जिन पर शुरू में हरा-पीला या पीला मखमली पाउडर होता है जो बाद में काले रंग का हो सकता है। किसान शमशेर सिंह ने बताया कि यह रोग फंगस के कारण होता है और अधिक नमी, उच्च तापमान और फसल में यूरिया के अधिक प्रयोग से फैलता है। किसान दलबीर सिंह, बलबीर सिंह व रघबीर सिंह ने बताया कि किसान इसको लेकर बहुत चिंतित है क्योंकि पैदावार में भारी नुकसान होता है, हल्दी गांठ रोग से धान की फसल में झाड़ कम होता है और दाने ठीक से नहीं बन पाते, जिससे पैदावार घट जाती है। किसान बलवान सिंह ने बताया कि इससे फसल की गुणवत्ता में भी नुकसान होता है। दानों की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जिससे बाजार में धान को अच्छी कीमत नहीं मिल पाती। जिससे पैदावार घटने और गुणवत्ता खराब होने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है।


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