अभिषेक पूर्णिमा
---भारतीय संस्कृति में ज्ञान, श्रद्धा और विनम्रता की परंपरा का उत्सव है गुरु पूर्णिमा पर्व
पिहोवा, 8 जुलाई : गुरु पूर्णिमा भारत की उस महान परंपरा का उत्सव है, जो गुरु को परमात्मा के समान स्थान देती है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि चाहे जीवन में शिक्षा की तलाश हो या आत्मज्ञान की, हर पथ पर एक सच्चे मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। इसी संदर्भ में विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों ने अपने विचार साझा किए:
गुरु शिष्य के आत्मीय रिश्ते को पुन: स्थापित करने की जरूरत: आशीष चक्रपाणि
तीर्थ पुरोहित एवं नपा प्रधान आशीष चक्रपाणि ने कहा कि गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान, श्रद्धा और विनम्रता की परंपरा का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा गुरु वह होता है जो अज्ञानता के अंधकार से निकालकर शिष्य को आत्मज्ञान की ओर ले जाए। आज की शिक्षा प्रणाली में भी यदि हम गुरु-शिष्य के इस आत्मीय रिश्ते को पुनः स्थापित करें, तो समाज में नैतिकता और मूल्यों की बहाली संभव है।
गुरु केवल परीक्षा में नहीं जीवन में सफल बनाता है: प्रदीप सैनी
सैनसंस पेपर मिल के एम.डी. प्रदीप सैनी ने कहा कि गुरु शिष्य के जीवन में वह दीपक है, जो अंधकार में भी राह दिखाता है। गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह ज्ञान, अनुशासन और श्रद्धा का संगम है। आज के दौर में जब शिक्षा में व्यावसायिकता आ गई है, तब गुरु-शिष्य के रिश्ते की आत्मीयता को बचाना और बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। सच्चा गुरु वही है जो छात्र को केवल परीक्षा में नहीं, जीवन में सफल बनाए।
ईश्वर से भी ऊपर है गुरु का स्थान: डा.चुघ
सरस्वती मिशन हस्पताल के एम.डी. डॉ. सुदर्शन चुघ का कहना है कि गुरु पूर्णिमा वेदव्यास जी की स्मृति में मनाया जाने वाला पर्व है, जिन्होंने ज्ञान को स्वरूप प्रदान किया। हमारे शास्त्रों में गुरु को ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया है—‘गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु...’। आध्यात्मिक दृष्टि से गुरु शिष्य के जीवन का संशय मिटाकर आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह पर्व गुरु के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करने का श्रेष्ठ अवसर है।
गुरु जीवन जीने की कला सिखाता है: विशाल चावला
प्लैटिनम होटल के एम.डी. एवं समाजसेवी विशाल चावला ने कहा कि आज के विद्यार्थियों को केवल पाठ्य ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखानी चाहिए। शिक्षक अगर मार्गदर्शक बनें और छात्र यदि उन्हें श्रद्धा से देखें, तो शिक्षा का उद्देश्य सफल हो जाता है। गुरु पूर्णिमा वह दिन है जब हम शिक्षा के उस पवित्र रिश्ते को सम्मान देते हैं, जो एक मजबूत समाज की नींव रखता है।
पिहोवा, 8 जुलाई : गुरु पूर्णिमा भारत की उस महान परंपरा का उत्सव है, जो गुरु को परमात्मा के समान स्थान देती है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि चाहे जीवन में शिक्षा की तलाश हो या आत्मज्ञान की, हर पथ पर एक सच्चे मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। इसी संदर्भ में विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों ने अपने विचार साझा किए:
गुरु शिष्य के आत्मीय रिश्ते को पुन: स्थापित करने की जरूरत: आशीष चक्रपाणि
तीर्थ पुरोहित एवं नपा प्रधान आशीष चक्रपाणि ने कहा कि गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान, श्रद्धा और विनम्रता की परंपरा का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा गुरु वह होता है जो अज्ञानता के अंधकार से निकालकर शिष्य को आत्मज्ञान की ओर ले जाए। आज की शिक्षा प्रणाली में भी यदि हम गुरु-शिष्य के इस आत्मीय रिश्ते को पुनः स्थापित करें, तो समाज में नैतिकता और मूल्यों की बहाली संभव है।
गुरु केवल परीक्षा में नहीं जीवन में सफल बनाता है: प्रदीप सैनी
सैनसंस पेपर मिल के एम.डी. प्रदीप सैनी ने कहा कि गुरु शिष्य के जीवन में वह दीपक है, जो अंधकार में भी राह दिखाता है। गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह ज्ञान, अनुशासन और श्रद्धा का संगम है। आज के दौर में जब शिक्षा में व्यावसायिकता आ गई है, तब गुरु-शिष्य के रिश्ते की आत्मीयता को बचाना और बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। सच्चा गुरु वही है जो छात्र को केवल परीक्षा में नहीं, जीवन में सफल बनाए।
ईश्वर से भी ऊपर है गुरु का स्थान: डा.चुघ
सरस्वती मिशन हस्पताल के एम.डी. डॉ. सुदर्शन चुघ का कहना है कि गुरु पूर्णिमा वेदव्यास जी की स्मृति में मनाया जाने वाला पर्व है, जिन्होंने ज्ञान को स्वरूप प्रदान किया। हमारे शास्त्रों में गुरु को ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया है—‘गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु...’। आध्यात्मिक दृष्टि से गुरु शिष्य के जीवन का संशय मिटाकर आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह पर्व गुरु के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करने का श्रेष्ठ अवसर है।
गुरु जीवन जीने की कला सिखाता है: विशाल चावला
प्लैटिनम होटल के एम.डी. एवं समाजसेवी विशाल चावला ने कहा कि आज के विद्यार्थियों को केवल पाठ्य ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखानी चाहिए। शिक्षक अगर मार्गदर्शक बनें और छात्र यदि उन्हें श्रद्धा से देखें, तो शिक्षा का उद्देश्य सफल हो जाता है। गुरु पूर्णिमा वह दिन है जब हम शिक्षा के उस पवित्र रिश्ते को सम्मान देते हैं, जो एक मजबूत समाज की नींव रखता है।
गुरु केवल शिक्षक नहीं, बल्कि आत्मा के भी पथप्रदर्शक होते हैं: विकल चौबे
गांव धनीरामपुरा के युवा सरपंच एवं समाजसेवी विकल कुमार चौबे ने बताया कि गुरु केवल शारीरिक जीवन के शिक्षक नहीं, बल्कि आत्मा के भी पथप्रदर्शक होते हैं। हमारे आध्यात्मिक गुरुदेव हमें सत्संग, सेवा और सिमरण के मार्ग पर चलना सिखाते हैं। वे न केवल हमें बाहरी जीवन को सुसंगठित करना सिखाते हैं, बल्कि भीतर आत्मिक चेतना को भी जागृत करते हैं। अत: गुरु पूर्णिमा उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है।
संत महात्माओं, महापुरुषों को नमन करने का दिन है गुरु पूर्णिमा: दीपक बवेजा
समाजसेवी दीपक बवेजा ने कहा कि गुरु केवल ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मज्ञान का प्रकाश है। ऐसे आध्यात्मिक गुरु हमें यह समझाते हैं कि जीवन केवल सांस लेने का नाम नहीं, बल्कि ईश्वर की ओर बढ़ने की एक यात्रा है। वे हमें सत्संग की संगति, सेवा का आनंद और सिमरण की शक्ति का महत्व सिखाते हैं। गुरु पूर्णिमा उन महान संतों, महापुरुषों और साधुजनों को नमन करने का दिन है जिन्होंने हमारे भीतर सोई चेतना को जगाया।
किसी न किसी रूप में आवश्यकता होती है गुरु की: प्रिंस मंगला
बीजेपी के मंडल अध्यक्ष प्रिंस मंगला ने कहा कि गुरु पूर्णिमा केवल तिथि नहीं, बल्कि एक चेतना है,जो हमें यह स्मरण कराती है कि जीवन के हर मोड़ पर हमें किसी न किसी रूप में गुरु की आवश्यकता होती है। कभी वह माता-पिता के रूप में होते हैं, कभी शिक्षक, और कभी कोई साधु-संत जो आत्मा का जागरण करते हैं। आइए इस पावन दिन पर हम सब मिलकर उन सभी गुरुओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें, जिन्होंने हमें जीवन की राह दिखाई।
गांव धनीरामपुरा के युवा सरपंच एवं समाजसेवी विकल कुमार चौबे ने बताया कि गुरु केवल शारीरिक जीवन के शिक्षक नहीं, बल्कि आत्मा के भी पथप्रदर्शक होते हैं। हमारे आध्यात्मिक गुरुदेव हमें सत्संग, सेवा और सिमरण के मार्ग पर चलना सिखाते हैं। वे न केवल हमें बाहरी जीवन को सुसंगठित करना सिखाते हैं, बल्कि भीतर आत्मिक चेतना को भी जागृत करते हैं। अत: गुरु पूर्णिमा उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है।
संत महात्माओं, महापुरुषों को नमन करने का दिन है गुरु पूर्णिमा: दीपक बवेजा
समाजसेवी दीपक बवेजा ने कहा कि गुरु केवल ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मज्ञान का प्रकाश है। ऐसे आध्यात्मिक गुरु हमें यह समझाते हैं कि जीवन केवल सांस लेने का नाम नहीं, बल्कि ईश्वर की ओर बढ़ने की एक यात्रा है। वे हमें सत्संग की संगति, सेवा का आनंद और सिमरण की शक्ति का महत्व सिखाते हैं। गुरु पूर्णिमा उन महान संतों, महापुरुषों और साधुजनों को नमन करने का दिन है जिन्होंने हमारे भीतर सोई चेतना को जगाया।
किसी न किसी रूप में आवश्यकता होती है गुरु की: प्रिंस मंगला
बीजेपी के मंडल अध्यक्ष प्रिंस मंगला ने कहा कि गुरु पूर्णिमा केवल तिथि नहीं, बल्कि एक चेतना है,जो हमें यह स्मरण कराती है कि जीवन के हर मोड़ पर हमें किसी न किसी रूप में गुरु की आवश्यकता होती है। कभी वह माता-पिता के रूप में होते हैं, कभी शिक्षक, और कभी कोई साधु-संत जो आत्मा का जागरण करते हैं। आइए इस पावन दिन पर हम सब मिलकर उन सभी गुरुओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें, जिन्होंने हमें जीवन की राह दिखाई।
कलयुग में भगवान की सूरत गुरु है: गीता शर्मा
भाजपा महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष एवं जिला कष्ट निवारण समिति की सदस्य गीता शर्मा ने कहा कि मां-बाप की मूरत है गुरु, कलयुग में भगवान की सूरत गुरु है। गुरु बिना ज्ञान नहीं ज्ञान बिना आत्मा नहीं, ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म सब गुरु की ही देन है। गुरु की महिमा न्यारी है, अज्ञानता को दूर करके ज्ञान की ज्योत जलाई है
- फोटो:- आशीष चक्रपाणि, प्रदीप सैनी, डॉ. सुदर्शन चुघ, विशाल चावला, विकल चौबे, दीपक बवेजा, प्रिंस मंगला, गीता शर्मा ।
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