संगमेश्वर महादेव मंदिर अरुणाय में श्रावण मास में हुआ भगवान शिव का भस्माभिषेक, कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने मुख्य यजमान की शिरकत


अभिषेक पूर्णिमा/राजेश वर्मा 

असंध से विधायक योगेंद्र राणा सहित कई राजनीतिक हस्तियां शिव पूजन में हुई शामिल

पिहोवा, 26 जुलाई। श्रावण मास के उपलक्ष्य में संगमेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का रात्रि भस्माभिषेक किया गया। इस दौरान शहरी स्थानीय निकाय राज्यसभा एवं आपदा प्रबंधन कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने मुख्य यजमान के तौर पर भस्माभिषेक में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसे विशेष पूजन में उन्हें शामिल होने का अवसर मिला है। भस्माभिषेक में शामिल होने के बाद उन्हें परमसुख की अनुभूति हुई। उन्होंने कहा कि संगमेश्वर महादेव मंदिर पूरे विश्व में विख्यात है। मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में सरकार का प्रयास रहेगा कि यहां श्रद्धा और पर्यटन का अनोखा तालमेल स्थापित किया जाए।श्रद्धालुओं ने 21 किलो गाय के गोबर से बनी भस्म से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया। महंत विश्वनाथ गिरी ने बताया कि अब से पहले परंपरा थी कि महाशिवरात्रि पर ही भस्माभिषेक होता था। इस साल लगातार दूसरे वर्ष श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी के निर्देशानुसार उनके मार्गदर्शन में श्रावण मास के सभी सोमवार को भस्माभिषेक किया जा रहा है। मंदिर सेवादल के प्रबंधक भूषण गौतम ने बताया कि रात्रि को विशेष भस्म आरती में कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल, मंदिर के पुरोहित, ब्राह्मण एवं यजमानों ने हिस्सा लिया।  मान्यता है कि शिवलिंग पर भस्म चढ़ाने से चढ़ाने का विधान भगवान शिव को प्रसन्न करना और इस बात का अहसास करना है कि मिट्टी से बना शरीर सांसारिक मोह माया से मुक्ति पाकर एक दिन भस्म ही बन जाएगा। उधर,श्रावण में मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। असंध से विधायक योगेंद्र राणा भी पूजन के लिए पहुंचे। लोगों ने लाइनों में लगकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए। व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेवा दल के लगभग 350 वॉलिंटियर्स मंदिर परिसर एवं भंडारों में तैनात रहे। थानापति महंत धीरज पुरी ने बताया कि  प्रतिदिन 11 हजार बेल पत्र की पतियों से भगवान शिव का विधिवत रूप से पूजन हो रहा है। इसके साथ-साथ अखंड रुद्राभिषेक भी जारी है। जिसमें दूध, शहद, गिलोय बेल के रस आदि से ब्राह्मण भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कर रहे हैं। 8 अगस्त को श्रावण मास की समाप्ति का भंडारा होगा


शिव के भस्म लगाने के पीछे पौराणिक मान्यता

  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवी सती ने अपने पिता के यज्ञ में देह त्याग दी थी तो उससे आहत होकर तांडव कर रहे थे। इस दौरान उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को भस्म कर दिया था। माता सती का वियोग में भगवान शिव ने उनके शरीर की भस्म को अपने तन पर रमा लिया था। माना जाता है कि तब से ही महादेव को भस्म प्रिय है

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