जहां श्रद्धा है, वहीं प्रभु हैं, श्रीकृष्ण कृपा मंदिर में भक्ति का अनुपम संगम"

अभिषेक पूर्णिमा/ राजेश वर्मा 
पिहोवा, 18 जुलाई: श्री कृष्ण कृपा मंदिर पिहोवा में आज एक विशेष आध्यात्मिक आयोजन का शुभ अवसर बना, जब अजय बहल के दोहते युवराज हांडा के जन्मदिवस पर प्रभात फेरी का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में परम पूज्य महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए श्रद्धालुओं को भक्ति और आस्था की गहराइयों से अवगत कराया।
स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में श्रद्धा और आस्था की महानता पर गूढ़ और गहन विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि "श्रद्धा एक ऐसा भाव है, जो तर्क की सीमाओं से परे होता है। यह केवल अनुभव की वस्तु है, जिसे न तो मापा जा सकता है और न ही समझाया जा सकता है – इसे केवल जिया जा सकता है।"
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम अमरनाथ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं को बर्फीले पर्वतों और खतरनाक रास्तों से होते हुए केवल एक झलक पाने के लिए जाते देखते हैं, तो समझ आता है कि श्रद्धा में कैसी शक्ति होती है। वह शक्ति जो शरीर की सीमाओं को पार कर देती है।
स्वामी जी ने कहा कि ब्रज की परिक्रमा भी आस्था की एक जीवंत मिसाल है, जहाँ करोड़ों लोग गुरु पूर्णिमा के दिन निर्जल व नंगे पांव चलते हैं। वहां की धूल भी उन्हें प्रभु की चरण रज लगती है।
उन्होंने कांवड़ यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा, “सोचिए, कोई व्यक्ति सैकड़ों किलोमीटर का सफर केवल इस संकल्प के साथ करता है कि वह गंगाजल को अपने कंधों पर ढोकर अपने नगर के शिवालय में चढ़ाएगा – यह साधारण भाव नहीं है, यह केवल श्रद्धा की पराकाष्ठा है।”
स्वामी जी ने धन्ना भगत की कथा सुनाते हुए कहा कि जब उन्होंने खेत में पड़े पत्थर को ही भगवान मान लिया और उसे पूरी श्रद्धा से पूजा, तो वह पत्थर भी ईश्वर रूप में प्रकट हो गया। "जब श्रद्धा सच्ची होती है, तो पत्थर भी बोल उठते हैं, और जब मन में संदेह हो तो मंदिरों की मूर्तियाँ भी मौन रह जाती हैं," 
श्रावण मास की महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि यह मास केवल जल चढ़ाने का नहीं, अपने अंतर्मन को शिवत्व से जोड़ने का समय है। उन्होंने कहा, “सावन की वर्षा जैसे सूखी धरती को जीवन देती है, वैसे ही सावन की भक्ति आत्मा को शुद्ध करती है, और मन को आनंदित कर देती है।”
उन्होंने श्रद्धालुओं को यह भी समझाया कि समय, स्थान और तिथि चाहे कोई भी हो, लेकिन जब हमारा मन संत के सानिध्य में होता है, जब हम किसी पवित्र स्थल पर होते हैं, या जब ब्रह्म मुहूर्त की सात्विक वेला में हम प्रभु का ध्यान करते हैं – तब भीतर की श्रद्धा लहर बनकर हृदय से बाहर आती है।
उन्होंने अंत में कहा –
"श्रद्धा केवल मूर्तियों की पूजा नहीं, बल्कि अपने भीतर बसे ईश्वर की अनुभूति है।"
स्वामी जी के प्रवचन ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया और सभी श्रद्धालुओं के हृदय में प्रभु भक्ति की गहरी छाप छोड़ दी।
इस पावन अवसर पर जगदीश तनेजा, सुरेश वर्मा, सागर कश्यप, राज धवन, दिनेश अत्री, अश्विनी वासन, जितेंद्र वर्मा, नेहा खत्री, सुखदेव शर्मा और गुलशन अरोड़ा ने अपने भावपूर्ण भजनों से वातावरण को भक्ति रस में सराबोर कर दिया।
इसके पश्चात स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने युवराज हांडा को केक खिलाकर आशीर्वाद दिया। साथ ही श्री कृष्ण कृपा महिला मंडल की सदस्य पूजा तनेजा का भी जन्मदिवस  मनाया गया।
इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से:
महेंद्र सिंह पंजरथ, प्रेम पाल हांडा, राजन हांडा, जगदीश सैनी, श्यामलाल बहल, लाला जय नारायण गर्ग, श्याम अबरोल, प्रेम खुराना, राजेंद्र आनंद, डोली आनंद, मनीष पूरी, गुलशन चावला, अशोक पोपली, जयकृष्ण शर्मा, जसवंत सिंह बिलोचपुरा, सोम प्रकाश सरपंच, सुभाष गुप्ता, राजेश गर्ग, दविंदर भल्ला, गुरमेल सिंह, निशांत सिंह, महेंद्र गर्ग, जीवन लाल सरपंच, यशपाल ढींगरा, पवन क्वात्रा, सोनी चुघ, सोनू धवन, प्रेमपाल पुरी, पवन गोयल, विनोद कपूर, सुमित शर्मा, परमजीत पम्मा, पवन भारद्वाज आदि शामिल थे।

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