पत्रकार विनोद सैनी। पिहोवा
आज राजकीय शोक के चलते अधिकांश स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है, लेकिन प्राइवेट स्कूलों का रवैया कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील बना हुआ है। जहां बच्चों को छुट्टी दी गई है, वहीं स्टाफ को स्कूल बुलाकर काम करने के लिए मजबूर किया गया है।
छुट्टी के बावजूद स्टाफ पर दबाव
कई प्राइवेट स्कूलों ने स्टाफ को निर्देश दिया है कि वे छुट्टी के दिन भी स्कूल में उपस्थित रहें। जो कर्मचारी अनुपस्थित रहते हैं, उनकी एक दिन की तनख्वाह काटने की धमकी दी जाती है। यह रवैया कर्मचारियों के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
सूत्रों से कर्मचारियों का दर्द
एक शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, "राजकीय शोक के कारण छुट्टी तो घोषित कर दी गई, लेकिन हमें स्कूल बुला लिया गया। अगर हम छुट्टी लेते हैं, तो हमारी तनख्वाह काट ली जाएगी। यह हमारे साथ अन्याय है।"
शोषणकारी नीतियां
कई प्राइवेट स्कूलों में कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन पर काम कराया जाता है, और छुट्टी के दिनों में भी उन्हें काम करने पर मजबूर किया जाता है। ऐसी नीतियां न केवल कर्मचारियों पर मानसिक दबाव डालती हैं, बल्कि उनके अधिकारों का भी हनन करती हैं।
प्रशासन से अपील
कर्मचारी संगठनों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि प्राइवेट स्कूलों में कर्मचारियों के शोषण पर सख्त कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
यह समय है कि प्राइवेट स्कूलों की शोषणकारी नीतियों को समाप्त किया जाए। शिक्षकों और अन्य स्टाफ को भी वह अधिकार मिले, जिसके वे हकदार हैं। सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि कर्मचारी बिना किसी दबाव के अपने कार्य कर सकें।
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