दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से पुरानी अनाज मंडी, पिहोवा में पाँच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत के कार्यक्रम का किया गया भव्य आयोजन





राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा,

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से पुरानी अनाज मंडी, पिहोवा में पाँच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत  के कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कथा के पंचम एवं समापन दिवस में दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री मनस्विनी भारती जी ने सुदामा प्रसंग को उपस्थित भक्तों के समक्ष रखा।साध्वी जी ने बताया कि भक्त सुदामा जी भगवान श्री कृष्ण जी के बाल सखा थे। सुदामा जी ने जब प्रभु श्री कृष्ण जी के हिस्से के चने खा लिए तो मानो दरिद्रता ने उन के जीवन में घर कर लिया। साध्वी जी ने बताया कि सुदामा का अर्थ सु भाव अच्छी तरह, दामा का अर्थ रस्सी से जकड़ा हुआ है। और आज के इन्सान की दशा भी कुछ इसी प्रकार हैं, वह भी अपनी अनेका अनेक इच्छाओं में जकड़ा हुआ विभिन्न यातनाओं को सहन करता है। सुदामा की पत्नी सुशीला प्रतीक है सद्बुद्धि का जो सुदामा जी को प्रभु से मिलने की प्रेरणा देती हैं, एवम भेंट स्वरूप चावल भेजती हैं,जो पुण्य पुंज के प्रतीक है।
हमारे संत भी कहते है -
"पुण्य पुंज बिनु मिले नहीं संता"
भाव जीवन में जब अच्छे कर्म जागृत होते हैं तब जीवन में पूर्ण सद्गुरु की प्राप्ति होती है। और तब ही सुदामा की तरह एक मानव के जीवन की दशा सुधरती है। इस अवसर पर साध्वी बहनों द्वारा सुंदर भजनों का गायन किया। कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से किया गया।

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