राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा,
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से पुरानी अनाज मंडी पिहोवा में आयोजित श्री कृष्ण कथामृत के चतुर्थ दिवस में दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री प्रवीणा भारती जी ने बाल लीला प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु श्री कृष्ण ने जन कल्याण के लिए द्वापर युग में अवतार लिया। प्रभु जब कोई कार्य करते हैं तो वह लीला कहलाती है। प्रभु द्वारा की गई प्रत्येक लीला में आध्यात्मिक रहस्य छिपे होते हैं लेकिन समय के गर्त में वे धूमिल हो जाते हैं, जिसके कारण मनुष्य सत्य के मार्ग से भटक जाता है। समय समय पर संत महापुरुष इस धरा पर आकर उन रहस्यों को उजागर करते हैं। प्रभु जब जब इस धरा पर आकर लीला करते हैं, साधारण मानव उन लीलाओं को समझ नहीं पाते क्योेंकि हम अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हैं लेकिन प्रभु बुद्धि का विषय ही नहीं हैं। प्रभु को तत्व से जानने के पश्चात् ही प्रभु की लीलाओं के वास्तविक मर्म को समझा जा सकता है।
साध्वी जी ने कथा प्रसंग के माध्यम से बताया कि वैदिक काल के गुरुकुल मानव निर्माणस्थली होते थे किन्तु आज की शिक्षा प्रणाली केवल एक पक्ष को लेकर कार्य कर रही है। इसीलिए तो मानव कल्याण की ओर नहीं अपितु विनाश की ओर उन्मुख हो रहा है। उसमें अहंकार की वृद्धि हो रही है। कारण केवल इतना ही है कि हम बच्चाें को बाह्य शिक्षा तो देते हैं लेकिन जिससे विकास की ओर हमारे कदम बढ़ सकतेे हैं, उस आध्यात्मिक शिक्षा का आभाव है। इसलिए अगर हम पूर्ण विकास चाहते हैं तो हमें बाह्य शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा की भी बहुत जरूरत है और इसकी प्राप्ति पूर्ण सदगुरु की कृपा से ही हो सकती है। कथा में साध्वियों ने भावपूर्ण भजनों का गायन किया । कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से किया गया।
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