श्री कृष्ण कथा में कृष्ण जन्म महोत्सव का भव्य आयोजन

राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि
पिहोवा 

   ‌‌दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पुरानी अनाज मंडी पिहोवा में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत का भव्य आयोजन किया गया है। जिसके तृतीय दिवस में कथा को वांचते हुए संस्थान के संस्थापक एवं संचालक दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री मनस्विनी भारती जी ने समस्त धार्मिक ग्रन्थों के समन्वय से युक्त इस भव्य आयोजन में प्रभु के जन्म एंव उनके जीवन की लीलाओं के भीतर छिपे आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया। साध्वी ने बताया कि प्रभु का अवतरण धर्म के जिस संदेश को धारण किए हुए है वह हर युग काल व देश की सीमाओं से परे हैं व वर्तमान युग की समस्त समस्याओ का निवारण प्रस्तुत करता है। संसार में नाना प्रकार के रोग, शोक, जन्म, मृत्यु इत्यादि में पडे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार में अन्धे हो चुके मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रभु अवतीर्ण होते है। 
साध्वी ने प्रभु के संबंध में बताते हुए कहा कि प्रभु श्री कृष्ण जग पालक व सृष्टि के नियामक तत्व है, जो साकार रूप धारण कर अवतरित होते है। निराकार परमात्मा धर्म की स्थापना के लिए साकार रूप धारण करता है। प्रभु का जन्म रात्रि के समय हुआ जो हम सबके लिए एक सन्देश है कि जब मैं प्रकट होता हूँ, तो अज्ञान रूप अंधकार हट जाता है और जब प्रभु का अवतरण हमारे घट मे होता है तो हमारे भीतर का अज्ञान भी मिट जाता है। ज्ञान रूपी प्रकाश प्रकट हो जाता है। प्रभु का जन्म कारागार में हुआ। साध्वी जी ने बताया कि यह कारागार हमारे मानव तन का प्रतीक है जिसमें ईश्वर का वास है। लेकिन माया की नींद में सोए होने के कारण हम उनका दर्शन नहीं कर पाते। इसलिए जब तक हम माया के पाश से बाहर नही आ जाते तब तक प्रभु दर्शन नही कर पाते। इसलिए तब तक हम माया के पाश से बाहर नहीं हो सकते। उन्होने बताया कि माता देवकी जी ने अपने घट में जिस प्रकार प्रभु के चतुर्भुज रूप में दर्शन किए। ठीक इसी प्रकार हम भी अपने भीतर ऐसा अनुभव पूर्ण सतगुरू की कृपा से कर सकते हैं। सारा पंडाल नंद महोत्सव के कारण गोकुल गांव की भांति लग रहा था।जब नन्हे से कृष्ण कन्हैया को पालने में डाला गया तो सभी श्रद्धा से नतमस्तक हो उठे एवं सारा पंडाल ब्रिज वासियों की भांति नाच उठा। कथा को विराम प्रभु की पावन आरती द्वारा दिया गया।

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