"सारे तीर्थ धाम आपके चरणों में, हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में" पिहोवा में प्रभात फेरी का भव्य आयोजन

अभिषेक पूर्णिमा 
पिहोवा, 01 जुलाई:
परम श्रद्धेय, परम पूज्य, महामण्डलेश्वर, गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज के आशीर्वाद और प्रेरणा से आज प्रातः गुल्हा रोड पिहोवा में एक दिव्य प्रभात फेरी का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस पावन आयोजन का सौभाग्य सोवित मेहता एवं उनके परिवार को प्राप्त हुआ।प्रभात बेला में जब वातावरण वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज उठा और भक्तिरस से सराबोर श्रद्धालु प्रभु स्मरण में लीन हो गए, तब लगा मानो स्वयं तीर्थों का समागम इस भूमि पर हो रहा हो। इस भक्ति यज्ञ में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी सहभागिता दी, जिससे यह प्रभात फेरी एक अनुपम आध्यात्मिक उत्सव में परिवर्तित हो गई।
भजन गायकों — जगदीश तनेजा, नरेश शर्मा, सुरेश वर्मा, सागर कश्यप, बोबी अत्र, जितेंद्र वर्मा, विक्की वोहरा, मोनू गाबा, राजिन्दर शर्मा, दिनेश अत्री, मदन कश्यप और राकेश शर्मा ने अपने भावपूर्ण और मधुर भजनों से समस्त श्रद्धालुओं को भक्ति में सराबोर कर दिया। विशेष रूप से प्रियंका मेहता द्वारा प्रस्तुत भजन "सारे तीर्थ धाम आपके चरणों में, हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में..." और मोनू गाबा के स्वर में "ओ मेरा दिल तुझ पे कुर्बान, मुरलियां वाले रे..." ने उपस्थित जनमानस को भावविभोर कर दिया और अनेक श्रोताओं की आंखें श्रद्धा से नम हो उठीं।
इस अवसर पर विनोद कपूर, राजीव दुआ, ज्ञानभूषण पपनेजा, महिंदर रोहिल्ला और सुखविंदर सिंह ने आयोजक मेहता परिवार को ठाकुर जी का स्वरूप भेंट कर इस आयोजन को सदा के लिए स्मरणीय बना दिया। तत्पश्चात हनुमान चालीसा और श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का सामूहिक पाठ हुआ, जिसने आयोजन को आध्यात्मिक गरिमा की नई ऊँचाई प्रदान की।
आयोजक सोवित मेहता एवं परिवार ने सभी श्रद्धालुओं का स्नेहपूर्वक स्वागत किया और अपनी विनम्रता व सेवाभाव से प्रत्येक आगंतुक का आभार प्रकट किया।

इस शुभ अवसर पर विनोद मेहता, इंदर मेहता, सागर, पार्थ, माधव, राघव, युवान, बेनिका, भैरवी, भाविका, कनिका, अमित कोछड़, कर्ण कोछड़, कर्ण मेहता, आशीष मेहता, विकास मेहता, हरप्रीत कुमार, रितु मेहता, निखिल तनेजा, अमित मोंगा, राजेश गर्ग, रवि वर्मा, गौरव गर्ग, प्रदीप साहनी, महिंदर गर्ग, तरसेम मित्तल, बलदेव सैनी, पंकज शर्मा, जियालाल, गिन्नी मित्तल, मेनका मेहता उपस्थित  थे।यह प्रभात फेरी न केवल श्रद्धा और समर्पण की मिसाल बनी, बल्कि गुरुचरणों में भक्ति और सामाजिक सौहार्द का अनुपम संगम भी सिद्ध हुई।

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