निजी स्कूलों में शिक्षकों के शोषण पर चिंतन



>>>आखिर कब तक हरियाणा प्रदेश में निजी स्कूलों के शिक्षकों का शोषण जारी रहेगा?

>>>सरकार अनजान है या जानबूझकर अनजान बनना चाहती है। 

राजेश वर्मा। कुरुक्षेत्र भूमि 

राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को ₹10,000 से लेकर ₹15,000 तक मासिक वेतन दिया जाता है। इतना ही नहीं, कम वेतन देकर अधिक वेतन दिखाने के लिए शिक्षकों से चेक बुक पर साइन करवा लिया जाता है। पढ़े-लिखे शिक्षक नौकरी खोने के डर से स्कूल प्रबंधन के अत्याचार चुपचाप सहते रहते हैं।
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो शिक्षक भारत के भविष्य निर्माता हैं, वे खुद अपने परिवार के लिए एक सम्मानजनक जीवन जीने में असमर्थ हैं।
किसी भी क्षेत्र के बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) या डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) से यदि पूछा जाए कि:

1. आखिर शिक्षकों से तय समय से पहले आने और बच्चों के जाने के बाद तक रुकने की जबरदस्ती क्यों की जाती है?


2. छुट्टी के बाद भी आधे घंटे तक रोके जाने का क्या औचित्य है?



इन सवालों का कोई अधिकारी ठोस जवाब नहीं दे पाता।

अधिकारियों और प्रबंधन की मिलीभगत

शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी में इतना साहस नहीं कि वे बिना किसी शिकायत के प्राइवेट स्कूलों का रजिस्टर महीने में एक-दो बार चेक कर लें। ऐसा लगता है कि स्कूल प्रबंधन और सरकारी अधिकारी आपसी सांठगांठ से काम कर रहे हैं।
यदि कोई शिक्षक शिकायत करता है, तो संबंधित अधिकारी शिकायतकर्ता का नाम उजागर कर देता है। ऐसे में शिक्षकों को और अधिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है।

जब इन अधिकारियों से सवाल किया जाए कि क्या स्कूल ऐसा कर सकते हैं, तो वे जवाब देते हैं:

"यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।"

"यह हमारे संज्ञान में नहीं है।"


शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी

शिक्षा मंत्री या संबंधित उच्च अधिकारी इस तथ्य से अनजान नहीं हो सकते कि निजी स्कूलों में शिक्षकों का शोषण हो रहा है।
शिक्षक दिन-रात मेहनत कर छात्रों का भविष्य संवारते हैं, लेकिन खुद अंधकार में जीने को मजबूर हैं। मानसिक प्रताड़ना झेलते हुए क्या शिक्षक बच्चों को सही ज्ञान प्रदान कर पाएंगे?

वेतन और अधिकारों का हनन

1. शिक्षकों को कम वेतन देकर और मानसिक रूप से मजदूर मानकर उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है।


2. केरल राज्य की तरह हरियाणा में भी सरकार को यह नियम बनाना चाहिए कि निजी स्कूल शिक्षकों के वेतन की पूरी जानकारी सरकार को दें।


3. प्राइवेट स्कूलों में भी शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन मिलना चाहिए।



निष्कर्ष

हरियाणा सरकार को निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक मजबूत और पारदर्शी नीति लागू करनी चाहिए।

शिक्षकों को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए मंच दिया जाए।

शिक्षा विभाग को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए उनकी कार्यप्रणाली में सुधार किया जाए।


क्योंकि यदि शिक्षक का जीवन सम्मानजनक नहीं होगा, तो देश का भविष्य भी अंधकारमय हो सकता है।

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