सरस्वती तीर्थ पर देखने को मिला हिंदू-सिख समुदाय की एकता का नजारा

>>>चैत्र चौदस मेले ने एक सूत्र में पिरोया दो समुदायों के लोगों को
अपनों से मिलने का मेले में मिलता है मौका


( राजेश वर्मा )विलेज ईरा। 
पिहोवा, 7 अप्रैल 

ऐतिहासिक धर्मनगरी पिहोवा के सरस्वती तीर्थ पर चैत्र चौदस मेले के यादगार लम्हों ने हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। दोनों समुदाय के लोग इस तीर्थ के पवित्र जल में एक साथ डुबकी लगाकर अपने पितरों की शांति के लिए कामना करते नजर आ रहे हैं। चैत्र चौदस मेले के दूसरे दिन सुबह होते ही हिंदू सिख एकता का दृश्य हजारों साल पुरानी परंपरा को बयां कर रहा था। रोचक पहलू यह है कि राजस्थान-हिमाचल और पंजाब से आने वाले कुछ परिवार पूरे एक साल इस मेले के आने का इंतजार करते है। इस मेले के जरिए ही इन परिवारों में दोस्ताना संबंध स्थापित हुए। कई परिवारों ने तो भाई चारा तक कायम कर लिया है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वे हर वर्ष चैत्र चौदस मेले में पितरों की आत्मिक शांति के लिए आते है। बॉक्स क्या है हिंदू-सिख एकता का रहस्य पिहोवा में सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी, छठी पातशाही गुरु हरगोबिंद, नौवीं पातशाही गुरु तेग बहादुर व 10वीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस पवित्र शहर में आए। इस प्रकार भगवान शिव शंकर, भगवान श्री कृष्ण सहित अनेक देवी देवताओं ने इस धर्म नगरी में आए थे। इसलिए चैत्र चौदस मेले पर दोनों समुदाय के लोग श्रद्धा भाव से आते हैं। बाक्स हर गली मोहल्ले में लगे भंडारे विभिन्न संस्थाओं ने शहर की हर गली और मोहल्ले में श्रद्धालुओं के लिए विशेष तौर पर लंगर लगाए गए थे। श्रद्धालुओं को वितरित किए जा रहे अटूट लंगर को देखकर ऐसा लग रहा था मानो शहर का हर नागरिक श्रद्धालुओं की सेवा में लगा हुआ है। इससे श्रद्धालुओं को यह संदेश भी मिल रहा है कि इस शहर में जाति धर्म और भेदभाव का नाम और निशान नहीं है। सभी लोग एक छत के नीचे रहकर सेवा करने में जुटे हुए हैं। बाक्स धार्मिक भजनों ने बांधे रखा श्रद्धालुओं को चैत्र चौदस मेले में आए श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए जिला सूचना एवं जन संपर्क विभाग द्वारा रात को विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कलाकारों ने गीतों व भजनों के माध्यम से जहां लोगों को परमात्मा का संदेश दिया वहीं उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के प्रति भी जागरूक किया। इन भजन पार्टी सदस्यों ने पंजाबी शब्दों, धार्मिक भजनों विषयों पर गीत प्रस्तुत किए।


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